Sunday, December 29, 2013

आप की राजनीति

कुछ भी कहिये, पिछले कुछ दिन भारत की राजनीति एक नयी हवा की बहार में रंग चुकी है। इस नयी हवा ने बहुत सारे जमे हुए राजनीति के कचडों को भी साफ़ करने का काम किया है। और इस बदलती फिजा का नाम है "आप (आम आदमी पार्टी)।

जब ८ दिसम्बर को दिल्ली,राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में हुए मतदान का रिजल्ट आया तो सभी की निगाहें सिर्फ दिल्ली में आये रुझानों पर टिक गए। भले ही बीजेपी ने चारो जगहों पर बाज़ी मारी फिर भी चारों तरफ जैसे एक ही आवाज़ सुनने को मिल रही थी और वो आवाज़ थी 'आप'। इस चुनाव में बहुत कुछ नया देखने को मिला। जैसे कि राजस्थान में बीजेपी ने दो तिहाई से ज्यादा सीटों पर दर्ज की। मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान की सरकार तीसरी बार सत्ता में आई। एक बात गौर करने वाली ये भी थी कि पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी या फिर यूँ कहें कि शिवराज सिंह की सरकार ने इस चुनाव में ज्यादा सीटों पर विजयी हुई।छत्तीसगढ़ में तीसरी बार रमन सिंह जी की सरकार बनी। पर ये सारी बातें दिल्ली में हुए चुनाव के अन्दर दब गयी। आलम तो ये था कि उसी समय शायद 9 बजे मैं ndtv पर रविश जी का कार्यक्रम देख रहा था और बीजेपी की तरफ से शाहनवाज़ हुसैन जी आये थे और उन्हें रविश जी को ये कहना पड़ गया कि कोई भी बीजेपी को बाकी बचे ३ राज्यों में मिली हुई सफलता के बारे में बात तक नहीं करना चाहता। जिसे देखो, आम आदमी पार्टी की बात कर रहा है।

क्यूँ न करें हम उसकी पार्टी की बात शाहनवाज़ जी, जिसने अपने उद्गम के मात्र एक साल के अन्दर सारी पार्टियों की चूले हिलाकर रख दी। उन दिनों मेरी राजनीति में दिलचस्पी काफी बढ़ चुकी थी।मतदान के रिजल्ट आने से पहले एक प्रोग्राम में बीजेपी की तरफ से संदीप पात्रा (नाम शायद कुछ ऐसा ही है अगर मैं गलत न हूँ तो) ने कहा था कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में सरकार बना सकती है लेकिन उसे 10 -15 साल तक इंतज़ार करना पड़ेगा। उनका कहता था कि ऐसा थोड़े ही न होता है कि आपने एक साल पहले कोई पार्टी बनाई और सीधे चुनाव जीतने के सपने देखने लगे और सरकार बनाने के सपने देखने लगे। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दिक्षित जी ने इन्हें कीड़े मकोड़े की संज्ञा दे दी थी। पर लगता है कि सत्ते की मद में चूर इन्होने राजनीति के प्रथम पाठ पर ध्यान ही नहीं दिया जहाँ ये कहा गया है कि कभी भी अपने दुश्मनों को अपने से छोटा मत समझो। काश उन्होंने इस बात पर ध्यान दिया होता।

समझने वाली बात ये भी है कि आप आदमी पार्टी के अधिकतर नेताओं को इन सभी चीजों का अनुभव नामात्र के बराबर है।फिर ऐसा क्या हुआ कि इन्होने बड़े बड़े सूरमाओं के छक्के छुड़ा दिए।बात कोई भी हो, एक बात तो तय है। अब राजनीति बदल रही है। लोगों ने अपने वोट की कीमत पहचानी है। अपने अलग ब्लॉग में अरविन्द केजरीवाल जी के बारे में कुछ लिखने की कोशिश करूँगा। एक बार फिर से आम आदमी पार्टी को उनकी शानदार प्रदर्शन के लिए शानदार बधाई।

आपका 

आकाश

Saturday, December 21, 2013

रिश्तों के भंवरजाल-2

हालाकिं पिछले कुछ  दिन भारतीय राजनीति के लिए एक शुभ दिन लेकर आया फिर भी मैं उसकी चर्चा अपने अगले लेख में करूँगा। काफी दिनों से मैं कोशिश कर रहा था कि मैं अपने इस लेख को जल्द से जल्द आपके पास पहुँचाऊ।

ये लेख लिखते समय मेरे दिमाग और दिल दोनों साथ दे रहे हैं तो मैं आपको ये बता दूं की मैं अभी सिर्फ 28 साल का हूँ। तो मैं जो कुछ भी लिखूँ. हो सकता है कि उसमे कुछ कमी हो तो मैं माफी चाहता हूँ।

ये लेख मैं उन तमाम लागों,नौजवानों को समर्पित करना चाहूँगा जिनकी नैया मझधार में फँसी है।

अगर आप अपने हमसफ़र से खुश नहीं हैं ,नाराज़ हैं, तो आइये कुछ तरीके देखें (मेरे हिसाब से) जहाँ आप एक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत कर सकते हैं।

1. किसी भी रिश्ते की मजबूती दो चीजों पर निर्भर करती है - भरोसा और सच्चाई। अगर आपको लगता है कि आपके रिश्ते में दोनों चीज़ मौजूद है तो आप बधाई के पात्र हैं। अक्सर ये देखा गया है कि हम थोड़ी देर की ख़ुशी पाने के लिए अपने हमसफ़र से झूठ बोल देते हैं पर यकीन मानिए,यही थोडा थोडा छोटा छोटा हमारी ज़िन्दगी में एक दरार पैदा करने लगती हैं। जहाँ तक बात है भरोसे कि तो अपने हमसफ़र पर इतना भरोसा ज़रूर करें कि अगर आप अपने हमसफ़र को किसी पराये के साथ देखें तो इसका अन्य अर्थ न निकालें। मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है। इसीलिए मैंने ऐसा लिखा।

2. किसी भी अच्छे रिश्ते में अहम् या घमंड की कोई जगह नहीं है। अक्सर ये देखा गया है कि किसी बात पर अगर लड़ाई हो जाए तो दोनों लोगों के मन में एक ही बात होती है कि पहले मनाने की पहल दूसरा करें ।हर बार मैं ही क्यूँ???? मैं आपसे पूछता हूँ कि अगर आप ऐसा कर देंगे तो क्या आप छोटे हो जाएँगे?? कतई नही। तो अपने अहम् को अपने रिश्ते में से हटा दें।

3. एक अच्छे रिश्ते की बोल चाल में गलत लब्जों या फिर यूँ कहें कि गालियों की कोई जगह नहीं है। अगर आपको लड़ाई ही करनी है तो गलत लब्जों का प्रयोग न करें। अब आप कहेंगे कि लड़ाई के वक़्त कौन इन चीजों पर ध्यान देगा?? तो मैं आपसे कहना चाहूँगा कि आप समय से ही अपनी बोल चाल की शैली पर ध्यान दें। मेरा ऐसा मानना है कि अगर मैं अपने हमसफ़र से 'तुम' की जगह ' आप' करके बात करूँ तो दोनों के बीच एक अच्छे वातावरण का निर्माण होता है।

4. बात करने से बात बनती है। तो जब भी आपको लगे कि आप दोनों के रिश्ते ठीक नहीं हैं तो उन सभी चीजों पर पूरी ईमानदारी से बात करें और यकीन कीजिये आप इसमें सफ़ल भी होंगे।हाँ पर आपका प्रयास ईमानदारी से होना चाहिए।

5. जब आपको लगे कि हालात कुछ ज्यादा ही ख़राब है और पानी सर के ऊपर से बह रहा है तो आप अपने बड़ों से संपर्क कीजिये। अक्सर ये देखा गया है कि लोग अपने बड़ों के पास जाने में काफी कतराते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर इन्हें कुछ पता चल गया तो मेरी इज्ज़त को तो फालूदा हो जाएगा। जनाब ऐसा कुछ नहीं होगा। चुकिं उन्होंने आपसे ज्यादा दुनिया देखी है तो वो आपका बेहतर मार्गदर्शन कर सकते हैं।तो निः शंकोच अपने बड़ो से बात करे।

मेरे ख्याल से ये कुछ ऐसी बातें हैं कि आप अपने रिश्ते को एक बेहतर दिशा दे सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आप सिर्फ इन्हीं बातों से अपने रिश्ते को बेहतर कर सकते हैं। इनके अलावे भी बहुत सारी बातें हैं पर मुझे जो लगा मैंने लिखा।

बाकी सब कुछ आपके ऊपर छोड़ता हूँ और मैं आम आदमी पार्टी को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ उनके शानदार प्रदर्शन के लिए।

शुभ रात्रि

आकाश


Thursday, November 28, 2013

रिश्तों के भंवरजाल में

पिछले कुछ  दिनों से मैं रिश्तों के भँवरजाल को  जितना सुलझाने कि कोशिश कर रहा हूँ , लगता है कि उलटे उतना फँसते जा रहा हूँ। सही कहूँ तो ये एक ऐसा दलदल है कि आप जितना इससे निकलने कि कोशिश करेँगे ,उलटे उतने  ही आप धँसते जाएँगे। पिछले कुछ घटनाओं ने मुझे सोचने पे विवश कर दिया है कि मुझे शादी करनी चाहिए भी कि नहीं। अगर देखा जाए कि मुझे शादी क्यूँ करनी चाहिए तो गिन कर मेरे पास एक या दो कारण है। वो ये कि मैं लड़की से प्यार करता हूँ। बस एक ही कारण से मेरे पास। शादी नहीं करने के मैं पांच छः कारण तो बता ही सकता हूँ। जैसे कि रोज़ कि चिक चिक ज़हीक ज़हीक से आज़ादी। किसी भी चीज़ पर कोई पाबंदी नहीं। आप और आपके माता पिता के बीच में कोई रुकावट नहीं होगी। आपकी आज़ादी में खलल डालने वाला कोई नहीं होगा वगैरह वगैरह।

मैं जानता हूँ कि बहुत सारे लोगों को मेरी बात बकवास भी लगती होगी। खैर जैसी जिसकी सोच। तो मैं उनलोगों से जिन्हें मेरी बात थोड़ी सी बकवास लग रही हो,उनसे मैं ये सवाल पूछना चाहता हूँ कि  शादी के बाद पति पत्नी के बीच ऐसा क्या हो जाता है कि यह पवित्र रिश्ता थोड़े से समय में ज़िन्दगी के बीच समुन्द्र में हिचखोले खाने लगता है और किनारे तक आते आते ये पवित्र रिश्ता तार तार हो जाता है (यह सवाल में आजतक अपने आसपास हो रहे घटनाओं को देखने के बाद ही पूँछ रहा हूँ)।  फिर उन कसमों और रिवाज़ों का क्या जो शादी के वक़्त पति - पत्नी एक दूसरे से करते हैं। और नहीं निभा सकते हैं तो शादी क्यूँ करना। किसी कि ज़िन्दगी बर्बाद करने का किसी को क्या अधिकार है ?

बहुत लड़के लड़कियों को ये कहते सुना हूँ कि वो सिर्फ़ प्यार के सहारे अपनी पूरी ज़िन्दगी बीता लेंगे। पर सच तो ये है मेरे दोस्त कि जब गरीबी/दुःख घर से एक दरवाज़े से प्रवेश करती है तो पूरा प्यार एक झटके से साथ दूसरे दरवाज़े से रफूचक्कर हो जाता है।  जिन्होंने अभी तक शादी नहीं कि होंगी,अगर वो मेरा ब्लॉग पढ़ रहे होंगे,तो उन्हें ऐसा लग रहा होगा कि मैंने ये सब क्या फालतू फालतू लिखा है।  हो सकता है कि उन्हें उनके प्यार पर गर्व हो पर मेरा ऐसा मानना है कि सिर्फ़ प्यार से सहारे ज़िंदगी बिताना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है(थोडा फिल्मी टच)। 

सच तो ये भी है कि सुख और दुःख ज़िन्दगी के अजीब पहलु हैं जो कभी आपका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं होते।  प्रायः ये देखा गया है कि दुःख वाली घड़ी में नव दम्पतियों के पाँव डगमगाने लगते हैं जो ज्यादातर एक दूसरे के बीच दूरियाँ बनाने के लिए काफ़ी है। 

तो इनका इलाज़ क्या है ? क्या एक दूसरे से अलग हो जाना आपके ज़िन्दगी के सारे गम मिटा देगा ? शायद नहीं। अपने अगले लेख में मैं कुछ तरीके बताने कि कोशिश करूँगा जिससे हमलोग फिर से एक सही राह पकड़े और ज़िन्दगी पुरे जोश के साथ जियें। 

आकाश 

Saturday, October 19, 2013

एक सच्चाई

नमस्कार दोस्तों

मैं आकाश स्वागत करता हूँ आपका मेरे ब्लॉग पर। आप सभी को विजयादशमी की ढेर सारी शुभकामनायें। काफी दिनों से कुछ लिखने की कोशिश कर रहा था। पर मेरे कंप्यूटर में कुछ खराबी आ जाने के कारण मैं कुछ लिख पाने में विवश था। ऊपर से मेरे पास कोई अच्छा सा विषय नही था।

फिर आज एक अच्छा विषय मिला तो सोचा कि मेरे विचारों को आप तक पहुचाऊ।

दरसल कुछ दिन पहले मेरे रूम में एक नया लड़का आया।बातचीत से पता चला कि पिछले साल उसके पिताजी की मृत्यु हो चुकी है और उसकी माँ की तबियत भी काफी ख़राब है और उसे तुरंत घर जाना होगा। उस समय उस लड़के की आखों में उसके दर्द को देखा जा सकता था। कुछ ऐसा ही वाक्या करीब 2-3 साल पहले मेरे साथ हुआ था। उन दिनों मैं दिल्ली में था और मेरे ही ऑफिस में एक मुझसे सीनियर का आगाज़ हुआ। बातचीत का सिलसिला चला। फिर मैंन बातचीत में उनके माँ और पिताजी के बारे में पूछा। थोड़ी ही देर में उनकी आखों से आंसू की धार निकल पड़ी। मैं सन्न हो गया। थोड़ी देर के बाद मुझे किसी और से पता चला कि उनकी माताजी का काफी साल पहले देहांत हो चुका था। एक बार बातों ही बातों में उन्होंने जिक्र किया था कि वो अपनी माताजी को काफी मिस करते हैं।

तो फिर ऐसा क्यों है कि जिनके पास उनके माता पिता जिंदा है,वो इस चीज़ को नहीं समझ पा रहे हैं। आजकल ये चीज़ तो काफी आम हो गयी है कि लोग अपने माता पिता के साथ बुरा सलूक करते हैं। उन्हें मारते है,पीटते हैं। ऐसा क्यूँ?? उन्हें अपने साथ रखने को तैयार नही हैं। क्यूँ??आखिर ऐसा क्या हो गया??

मैंने अपनी ज़िन्दगी में जितना कुछ देखा,सिखा, उससे मैं ये ज़रूर कह सकता हूँ कि हमें जो चीज़ आसानी से हासिल हो जाती है,हम उसकी कद्र करना भूल जाते हैं। यकीन मानिये, मैं सच कह रहा हूँ। और अगर यकीन न हो तो अपने गिरेबान में एक बार झाकिये। आपको खुद पता चल जाएगा। मैं कोई इनमे से अलग नहीं हूँ। मेरे साथ भी ऐसा ही है।

अपने आप को बदलने की कोशिश कीजिये और उन्हें ये एहसास दिलाये की उनकी मौजूदगी आपकी ज़िन्दगी में कितनी अहमियत रखती हैं। एहसास दिलाएं की उनके बगैर आपकी ज़िन्दगी थोड़ी रूक सी जाएगी,ठहर सी जाएगी। 

तब तक अपना ख्याल रखिये, स्वस्थ रहिये और रंग्रेज्ज़ फिल्म का 'दिल को आया सकूं' गाना सुनते रहिये।

आपका 

आकाश

Friday, August 2, 2013

मोकामा में तत्काल आरक्षण

रेलवे रिजर्वेशन के काउंटर पर आम  रिजर्वेशन लेने में कितनी तकलीफ होती है ये तो सब को पता है।  तो जरा सोचिये कि अगर आपको कहा जाये कि आपको तत्काल रिजर्वेशन लेना है तो आपकी हालत क्या होगी? ठीक ऐसी ही हालत मेरी थी जब मुझे कहा गया की हमें दिल्ली के लिए रिजर्वेशन तत्काल में लेना होगा। हालत बुरी इस लिए भी थी मुझे ये शुभ कार्य करने का मौका मेरे होम टाउन में ही मिला मतलब कि मुझे मोकामा स्टेशन से तत्काल टिकट लेना था।

बस फिर क्या था। मेरी हालत ख़राब हो गयी में. एक बार तो मुझे ये लगा कि मुझे किसी किराने की दुकान से नमक का पैकेट खरीदने जितना आसान है पर तुरंत मैं होश में आया और बोला कि अगर इतना ही आसान है तो तुम्ही चले जाओ और रिजर्वेशन करवा कर ले आओ.

भाई से चुपके से कन्नी काटी और मुझे में महान कार्य करने को कहा गया. मेरी तो रात की नींद वैसे ही गायब हो चुकी थी. वैसे भी कुछ दिन पहले ही mokamaonline.com के सौजन्य से ये खबर मिली थी कि टिकेट खिड़की पर दलालों का ही कब्ज़ा था. अक्सर मैंने देखा है की जिन लोगों को तत्काल का रिजर्वेशन लेना होता है वो टिकेट खिचड़ी पर ही अपनी रात बिताना पसंद करते है और यकीं मानिये जब वो सवेरे तत्काल रिजर्वेशन का कन्फर्म टिकेट मिलता है तो आप उनके चेहरे को देखिये। ऐसा लगता है मानो तीसरा विश्व युद्ध जीत कर आ रहे हैं

मैंने सोचा कि मुझे भी ये महान कार्य करना चाहिए।फिर मैंने सोचा की सीधे सवेरे जाकर  टिकट ले लूँगा। रात भर मेरे नींद और समय के बीच तगड़ी लड़ाई चल रही थी. नींद तो आखों से कोसो दूर थी. सवेरे सीधे ६ बजे उठकर रेलवे रिजर्वेशन  काउंटर पर हाजरी लगाई। पर वहां तोह मुझे पहले ढेर सारे लोगों ने टिकेट खिड़की पर कब्ज़ा कर रहा था. मैंने तो सोच लिया की भाई अगर आज मैं यहाँ से कन्फर्म टिकेट ले लूँगा तो ये मेरे ज़िन्दगी में एक यादगार पल बन जायेगा।

वहां पहुचने पर पता चला की यहाँ एक लिस्ट हैं जिसमें अपना नाम दर्ज करवाना है . मैंने शुभ काम में देर न करते हुए अपना नाम लिखवाया। पता चला की मुझसे पहले यहाँ करीब १४ महाशय हैं जिन्हें तत्काल रिजर्वेशन लेना था . बस फिर क्या था मेरा दिल धक् से बोला कि क्या अभी भी मुझे यकीन है कि मुझे तत्काल टिकेट मिल जायेगा। बुझे मन से मैं वापिस अपने घर पर आ गया. 

ठीक ९   बजे मैं रिजर्वेशन काउंटर पर पहुँच गया. धीरे धीरे लोगों की भीड़ बढ़ने लगी. मुझे तो लगा कि आज तो टिकट मिलने से रहा.साढ़े नौ बजते ही एक भारी भरकम तोंद लिए रेलवे सुरक्षा बल के एक जवान ने अपनी एंट्री करवाई। जमीन पर दो तीन बार अपना डंडा पटका और सभी को लाइन में हो जाने को कहा।  मैंने सोचा कि क्या हम उसी तरीके से लाइन में खड़े होंगे जैसे हमारा लिस्ट में नाम लिखा गया था? हमारे पुलिस साहब में तुरंत उस लिस्ट से हिसाब से सबको लाइन में हो जाने को कहा।  मजे की बात तो ये थी कि हम सभी लोग आराम से लाइन में लग गए।  मुझे एक बार तो लगा कि क्या मैं  मोकामा स्टेशन पर हूँ कि सिपाही जी के एक बार कहते ही सभी लाइन में लग गए।

जी हाँ, ये मेरा ही मोकामा था जहाँ ऐसा हुआ।  लोग बदल रहे हैं और मुझे ख़ुशी है कि आप और हम इस बदलाव के प्रतीक हैं।

खैर, मेरा पन्द्रहवां नंबर था और मैं ८ मिनट में रिजर्वेशन काउंटर पर अपना टिकट कटा रहा था और नौवे मिनट में टिकट मेरी जेब में था। मैं तत्काल रिजर्वेशन का ये युद्ध इतनी आसानी से जीत जाऊंगा, मुझे ऐसी आशा कतई न थी पर ये हुआ और वो भी मेरे मोकामा में।


Sunday, July 21, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग -४

वायु सेना में आने के बाद थोड़ा अच्छा तो लगा पर ये वो जगह नहीं थी जहाँ मेरे पापाजी मुझे देखना चाहते थे।पुरे मन से न सही पर आधे अधूरे मन से किसी तरह से उन्होंने अपने आप को मनाया। समय बीता।मैं अपनी नौकरी अच्छे तरीके से कर रहा था। इस दौरान मैंने कई परीक्षाएं दी पर अफ़सोस मैं पास नहीं कर पाया। तीन बार एस एस बी इंटरव्यू से आखरी दिन बाहर हुआ। 

ऐसा नहीं था कि मैं कोशिश नहीं की पर कुछ खास हुआ नहीं। पता है जब इंसान गलत होता है न तो वो खुद से भी दूर भागने की कोशिश करता है। मैं भी कुछ ऐसा ही कर रहा था। जरा सोचिये कि आप के पिताजी और आपके दोस्त के पिताजी एक दुसरे को अच्छे तरीके से जानते हैं। मेरा दोस्त एक अधिकारी बनता है और मैं एक आम कर्मचारी जबकि दोनों से एक साथ एक ही स्कूल से पढाई की। फिर मेरे पिताजी को कैसा लगता होगा जब वो मेरे दोस्त के पिताजी से मिलते होंगे। आखिर उन्होंने मेरी पढाई से लेकर मेरे हरेक सुख दुःख का ख्याल रखा तो क्या मैं उनके लिए इतना नहीं कर सकता था? आखिर उन्हें चाहिए ही क्या था? यही न की उनका बेटा कुछ अच्छा करे। उनका नाम रौशन करे। अफ़सोस मैं ऐसा नहीं कर पाया।

मेरी नौकरी को सात साल बीत चुके हैं। आजतक मेरे पिताजी ने ये नहीं कहा कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में कुछ नहीं किया या फिर मैंने उनका नाम डूबा दिया और कभी कहेंगे भी नहीं। क्या करें आखिर बाप ठहरे ना। बेटा चाहे कैसा भी को, उसकी हरेक तकलीफ उनके माता पिता के लिए बहुत दर्द लाती है। अक्सर उनकी आखें कहने की कोशिश करती है कि क्या उनका ये हक नहीं था कि मैं भी कुछ अच्छा करूँ और कम से कम एक अधिकारी बनूँ।पर मेरी दिक्कत ये है की मैं उनसे आखें नहीं मिला पाता और मुझे इस बात का अफ़सोस हमेशा रहेगा। 

ऐसा नहीं है की मैंने कोशिश जारी नहीं रखी हैं पर देखिये कब सफलता मेरे कदम चूमती है। हर रात को सोते वक़्त अपने आप से एक वादा करके सोता हूँ कि एक दिन मेरे पिताजी गर्व से कहेंगे अन्नी मेरा बेटा है।उम्मीद करिए की मैं अपने पिताजी का नाम अभी से ज्यादा रौशन कर सकूँ।

आलम ये है कि कभी कभी सोते वक़्त जब ये सब सोचता हूँ तो मेरे आखें नम हो जाती हैं।आखें लोर से डब डब भर आती हैं।मैं आज भी जब क़यामत से क़यामत का 'पापा कहते हैं' गाना  सुनता हूँ तो याद आता है वो समय जब हम अपने पिताजी को कहा करते थे कि हम भी आपका नाम रौशन करेंगे। अगर मेरा हाल ये है तो मेरे पिताजी का क्या हाल होता होगा? उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में काफी संघर्ष किया है।काश उनका यह नालायक बेटा भी ऐसा कर पाता। सवाल काफी है और जवाब सिर्फ मैं।

एक चीज़ मैं ज़रूर कहना चाहूँगा। कोई भी बात हो और कैसी भी हो, अपने माता -पिता से ज़रूर शेयर करें। विश्वास करें वो हमेशा आपके साथ होंगे। आखिर बात करने से ही तो बात बनती है।

अगले ब्लॉग में एक सच्ची घटना का बताना चाहूँगा।

तब तक अपना ध्यान रखे, स्वस्थ रहे और हाँफिल्म 'लूटेरा' का 'अनकही' वाला गाना सुनते रहें।

आपका 

आकाश 

Sunday, July 14, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग - 3

एक अच्छे स्कूल से पढाई करने के बाद हरेक पिता को ये इच्छा होती है कि उसका बेटा जीवन में कुछ अच्छा करे। उच्च पदों पर जाये।खूब नाम कमाए।अफ़सोस मैं ऐसा करने में नाकाम रहा।मैं बस ५८.४ प्रतिशत से अपनी बारहवी की परीक्षा पास ही की थी।

घर में काफी टेंशन का माहौल चल रहा था।एक तो पढने में इतना सारा खर्चा और हमारे घर के हालात उतने अच्छे नहीं थे।हलाकि पापाजी ने इतना ही कहा कि उन्हें पहले से ही मुझसे ज्यादा यकीं नहीं था। इसीलिए उन्हें ज्यादा दुःख नहीं हुआ था। खैर ये तो कहने की बात है वरना दुःख किसे नहीं हुआ था। फिर मुझे बनारस भेज गया अपनी बारहवी की पढाई दुबारा करने। मैं इतना बिगड़ा हुआ था कि यहाँ भी मैं पढाई के बदले क्रिकेट खेलने में व्यस्त हो गया। यहाँ भी मेरा कुछ नही हो पाया।

हाँ, इतना ज़रूर था की इतने दिनों में मैंने कुछ फॉर्म्स भर दिए थे और कुछ का बुलावा भी आ गया था। ऐसा नहीं था कि मुझे बुरा नहीं लग रहा था। पर मैं अपनी तरफ से कोई कॊशिश नहीं की थी या फिर ये कहूँ कि ईमानदार कोशिश नहीं की थी।

इसी बीच में मुझे वायु सेना के गैर तकनीकी ब्रांच के लिए बुलावा आ गया (भगवान की दया से) और मैंने आव न ताव देखा और यहाँ आ गया।मेरे ऊपर भी काफी प्रेशर था और मैं इससे कहीं दूर जाना चाहता था।

अफ़सोस कि मैं आज इसे ख़त्म नहीं कर पाया तो अगले भाग में मैं इसे खत्म करने की कोशिश करूँगा।

तब तक अपना ध्यान रखें, स्वस्थ रहें और हाँ, भाग मिल्खा भाग का 'जिंदा' वाला गाना सुनते रहे।

शुभ रात्रि 

आपका 

आकाश  

Monday, July 8, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग - २

शायद ही ऐसा हो कि माँ - बाप अपने बच्चों को पीटें और उनका सीना छलनी न हुआ हो। हमारे पीठ के दाग भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे थे। पापाजी काफी परेशांन लग रहे थे।उन्हें काफी ज्यादा तकलीफ हुई थी।पर क्या करें, बच्चों को सही राह दिखाना भी उन्ही का फ़र्ज़ है और वो उसे ही निभा रहे थे।

११ साल का होते होते हमने पापाजी से करीब ३ बार अच्छी पिटाई खा चुके थे। मेरे बड़े भैया का स्कोर कुछ ज्यादा था। वैसे भी वो कुछ ज्यादा ही शरारती था।

साल १९९७, महीना जून जब मेरा दाखिला देश के सर्वोतम स्कूलों में से हुआ,"सैनिक स्कूल बIलाचडी" . इसी बीच मेरे पिताजी के ऊपर कुछ केस दर्ज हो गया जिससे उनकी नौकरी चली गयी।साल १९९८ में हमारी दादी का निधन हुआ।आप ज़रा अंदाज़ा लगाये कि जब किसी व्यक्ति को २ साल तक वेतन न मिले और उसे इतने सारे दिक्कतों का सामना करना पड़े, उस इंसान के ऊपर क्या बीत रही होगी। मेरे लिए तोह अंदाज़ा लगाना ही मुश्किल है और शायद आपके लिए भी। हालाकिं मैंने अपने बचपन के काफी कम दिन घर पर गुजरे पर कभी भी उन्होंने मुझे इस बात का आभास होने न दिया।

जून १९९९ के आसपास कोर्ट का मामला ख़त्म हुआ और पापाजी को उनकी नौकरी मिल गयी।पर अभी भी हमारे घर के हालात ठीक नहीं थे। इसी बीच में पता चला कि मेरे पिताजी को ह्रदय की बीमारी हो गयी है।२००४ में मैंने बारहवी की परीक्षा पास की।दरसल पास ही की।

आगे की बात अगले और आखरी भाग में,

तब तक अपना ख्याल रखें,स्वस्थ रहें,

आपका 

आकाश        

Sunday, June 16, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग - १

पिछले कई दिनों से मैं अपने ऑफिस के काम में व्यस्त होने के कारण ब्लॉग नही लिख पाया।इसके लिए मैं आप सभी से और ब्लॉगर भैया से माफ़ी मांगता हूँ।

वैसे आज का दिन कई मायनों में ख़ास रहा।जैसे :-

आज का दिन हमने अपने पिताजी को समर्पित किया है।

बीजेपी की ख़ास पार्टी जद(यू ) ने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया।

दिल्ली में आज खूब बारिश हुई। वगैरह वगैरह 

पर आज मैं सिर्फ पहले ही पंक्ति पर ही अपने विचार व्यक्त करूँगा।बल्कि मैं अपने और अपने पिता के सम्बन्ध पर थोड़ी बहुत बातें करूँगा।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हरेक इन्सान अथवा बेटा/बेटी के जीवन में उनके पिता का काफी महत्त्व होता है और सभी के पिता दुनिया में सबसे अच्छे पिता हैं।मैं भी इनमें से कोई अलग नहीं हूँ और हाँ, मेरे पिताजी भी इस दुनिया के सबसे अच्छे पिताजी हैं।

मुझे आज भी वो समय याद है जब मैं करीब ६-७ साल का था और मैं अपने पिताजी से काफी डरा करता था। मैं क्या,मेरा शैतान बड़ा भाई भी पिताजी से खूब डरा करता था। जैसे ही पिताजी की आने की आहट सुनाई देती, हम तेजी से अपने कमरे में दुबक जाते।अगर हमें कोई चीज चाहिए होती तो हम लोग अपना पैगाम अपनी माताजी को सुनते और फिर हमारा पैगाम/फरमाइश पिताजी तक पहुचते।करीब ११ साल के होने तक मैंने पिताजी से ३ बार पिटाई खा चूका था।हालाकिं ये सारी पिटाई मैंने अपने बड़े भाई के शैतानियों के कारण खाई।

जब मुझे और मेरे बड़े भाई की पहली बार पिटाई हुई थी तो माताजी बाज़ार गई हुई थी और हमलोग छत पर पतंग उड़ाने में व्यस्त थे।  नीचे पापाजी सो रहे थे।मैं अपने पिताजी को पापाजी ही बुलाता हूँ।मेरे पापाजी को कुछ चीजों से सख्त नफरत है। जैसे कि नींद पर किसी भी तरीक़े का शोर उन्हें पसंद नहीं है। फिर क्या था, प्रेम से हमें छत से नीचे बुलाया गया और जम कर धुलाई हुई। मुझे खुद भी याद नहीं है कि हमें किस किस चीज़ों से पीटा गया था।याद बस इतना है कि पिटाई के  बाद पापाजी बाहर चले गए और मम्मी ने हमारे कपड़े उतारे तो पीठ पर देर सारे काले निशान थे। फिर हमारी गरम पानी से सेकाई की गयी। रात को पापाजी के आने से पहले हमलोग खाना खा कर सो चुके थे।सवेरे जब आखें खुली तो हमने देखा कि हमारे तकिये के पास ढेर सारे चॉकलेट्स पड़े थे। पूछने पर मम्मी ने हमें बताया कि रात में ये सारे चॉकलेट्स पापाजी लेकर आये थे पर तब तक हम लोग सो चुके थे।

तो ये थी मेरे पिताजी की कहानी मेरी जुबानी भाग - १ 

आगे जल्दी लिखने की कोशिश करूँगा।

तब तक अपना ध्यान रखिये,सुरक्षित रहिये।

शुभ रात्रि 

आकाश 

Saturday, May 11, 2013

Long Live My Parents

Its one of the most important day of my Life i.e 11 May. My parents have completed 33 years of their journey of life together. Best wishes from their Children.

Akash

Tuesday, April 30, 2013

SBI Green Channel Counter

नमस्कार

चलिये, आज कुछ और सीखा जाए। शायद आप लोगों में से बहुत को ये बातें पता होंगी। फिर भी मैंने सोचा कि एक बार बताने में क्या जाता है। तो चलिए आज हम SBI बैंक के ग्रीन चैनल काउंटर के बारे में बात करेंगे।

हो सकता है कि जब आप SBI बैंक के कोई भी शाखा जायें तो आप ऊपर दिए गए फोटो में जो मशीन दिखाया गया है, ऐसा कुछ देखने को मिले। अगर आपको ये मशीन दिखे तो आपको पैसे जमा करने या निकालने अथवा पैसे एक स्टेट बैंक के एक अकाउंट से दुसरे अकाउंट में भेजना है तो आप को फॉर्म भरने के कोई ज़रुरत नहीं है। ज़रुरत है तो सिर्फ आपके ATM  कार्ड की। अपने ATM कार्ड को इस मशीन में स्वाइप कीजिये और पैसे जमा कीजिये या निकालए।

Monday, April 29, 2013

A letter to the railway Minister for stoppage of trains at Mokameh Jn

A draft letter has been prepared by Me for stoppage of trains is appended below. Your valuable suggestions / comments are most welcome.



To,
Shri Pawan Bansal
Honorable Railway Minister Of India

Subject: - Regarding Stoppage of Trains at Mokameh Jn

29 Apr 2013

Sir,

                We, the people of Mokameh, have a few words to say for your kind consideration.

Mokameh Jn, also known as Mokama, is a town situated 90 Kms away from Patna and one of the important stations between Patna-Howrah section. It comes under jurisdiction of Danapur division. It has been classified as Gp "B" station and considered one of the vital stations of the Danapur Division. Based on earnings, It has also been classified as Class 'A' Station.
I must take this opportunity to introduce you with the rich culture of Mokama. Mokama has the biggest church of Bihar and it is considered to be one of the holy places in terms of Islamic religion. During first Sunday of February, It has the pride to host one of the biggest events which is being attended by tourist from many parts of the country. Even foreign tourists are also attracted to this fair.At the same time, India’s largest Harijan fair is celebrated and organized by Mokama only which is attended by Lakhs of people. I would also like you to introduce to the Shrine of Hazrat Tawarak Hussain Rahmahtullah/Hazrat Ajgay Pir Baba which is situated in Mokama Ghat and considered to be one of the most holy place for Muslims. During                            is attended by Lakhs of Muslims coming from other parts of country.  
This place has got the training centers for Central Reserve Police force (CRPF) and railway protection Force (RPF). Being so much important place in terms of earlings and location, this station has undergone a tremendous phase of discrimination for last some years,.
 For the last some years, stoppages of many trains have not been provided at this station. Details of the trains not stopping at Mokameh Jn are as follows:-

1 12315/12315 ANNAYA EXPRESS
2 12361/12362 CSTM ASANSOL EXPRESS
3 12325/12326 NLDM KOAA EXPRESS
4 11105/11106 PRATHAN SSNGRM
5 15667 /15668 KAMAKHYA EXPRESS
6 12505/12506 NORTH EAST EXPRESS
7 22405/22406 RJPB GARIB RATH EXPRESS
8 13423/13424 ALL BGP EXPRESS
9 14003/14004 NDLS NFK EXPRESS
10 12423/12424 DBRT NDLS Rajdhani Exp

I must take this opportunity to say you that this station has enormous capacities where Railways can use it for their increase in earnings. May we request you to take some necessary action so as to enable the stoppage of above named trains at Mokameh Jn. We, the people of Mokameh, will always be grateful to you.

Thanking you in anticipation.

Sunday, April 14, 2013

सोने की चाल

कल अखबार में एक खबर देखकर दिल को थोड़ी राहत पहुँची। हमारे भारत देश के अन्दर सबसे कीमती मानने जाने वाला "सोना" २०११ के बाद सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गिरा। सोने में इस सप्ताह शुरु से ही गिरावट का रुख बना हुआ है और यह ३०००० रुपये प्रति १०  ग्राम से नीचे बोला जा रहा था। बहरहाल, शनिवार को यह १२५० रुपये की रिकॉर्ड गिरावट के साथ २८३५० रुपये प्रति १० ग्राम के स्तर पर आ गया।चलिए अच्छा है। कम से कम आम आदमी के लिए कोई तो अच्छी खबर आई अंन्यथा हमारी गन्दी और इजुल फ़िज़ूल राजनीति ने तो हर अखबार को पूरी तरह से ढक रखा है।

१३ अप्रैल २०१३ के हिसाब से भारत के कुछ बड़े शहरों में सोने के दाम इस प्रकार हैं:-

शहर              २२ कैरेट                  २४ कैरेट

दिल्ली          २७४७८ रूपये             २९९७५ रूपये
मुंबई            २६९४१ रूपये             २९३९० रूपये
कोलकाता    २७४१३ रूपये             २९९०५ रूपये
चेन्नई          २७०६१ रूपये             २९५२० रूपये
पटना           २६३२० रूपये             २८१५० रूपये

सौजन्य :   http://www.sify.com/finance/gold_rates/ एवम http://www.indiagoldrate.com/gold-rate-in-patna.htm

जो लोग सोना खरीदना चाहते हैं उनके लिए ये एक अच्छा मौका है।  पर आप दुकानदार से पहले कीमत/मोल भाव कर लें।

अगले भाग में मैं कोशिश करूँगा ये समझाने की सोने को किस किस तरीके से आप खरीद सकते हैं। तब तक

इंतज़ार करें मेरे अगले भाग का,,

आकाश


English version Follows:



Yesterday while going through the newspaper I came through one of the news which sent much relief to my heart. In our India, Gold is considered to be one of the most precious metal in our India .It has touched near 1 and ½ year low at Rs  28350/-. As on date i.e 19 Apr 10, gold prices are revolving around Rs 26000/-. The gold rates of some of the famous cities of India are as follows (as on 14 Apr 13):- 


City                 22 Carat                      24 Carat

Delhi               Rs 27478,                   Rs 29 975
Mumbai           Rs 29 390                    Rs 26 941
Kolkata           Rs 27413                     Rs 29 905
Chennai            Rs 27061                     Rs 29520
Patna               Rs 28150                     Rs 26320

Courtesy: http://www.sify.com/finance/gold_rates/ alert http://www.indiagoldrate.com/gold-rate-in-patna.htm

Those who want to buy gold; it’s a good opportunity for them. Before you buy gold, check the rate of gold at a shop near you.

The next part I will try to explain the ways in which you can buy gold.
Till then wait for my next part.



Monday, April 8, 2013

मेरे मोकामा की कमी

जैसा कि मैंने कुछ दिन पहले फेसबुक पर ऊपर लिखे विषय के बारे में लिखने के लिए कहा था। मैं अपनी पूरी ईमानदारी से इस विषय को कवर करने की कोशिश करूँगा। मैं ये विषय लिखने से पहले एक चीज़ स्पष्ट कर देना चाहूँगा कि इस पूरे कड़ी का एक दोषी मैं भी हूँ।

१. कुशल नेतृत्व की कमी 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे मोकामा में एक कुशल नेतृत्व की हमेशा से कमी रही है।(कम से कम जबसे मैंने होश संभाला है). मैंने कम से कम ऐसे एक भी नेता को नहीं देखा जो की मोकामा के समस्याओं को लेकर जागरूक हो। ऐसा नहीं है कि हमारे यहाँ से अच्छे नेता नहीं हुए है पर मैंने कभी मोकामा की समस्याओं को लेकर आगे बढ़ते नहीं देखा। आज मोकामा में भारत वैगन, सुता मिल, नाजरथ बंद हैं या होने के कगार पर हैं पर मैंने कभी इन समस्याओं को लेकर किसी भी नेता को गंभीर नहीं देखा।

२. स्थानीय नेता की कमी 

ये भी एक अजीब इत्तिफ़ाक है की करीब १ लाख की आबादी वाले इस कस्बे का नेता मोकामा का नहीं होता। कहीं न कहीं ये कमी दूर होने से ऊपर वाली कमी दूर हो सकती है. ऐसा मेरे मानना है।

३. एक दुसरे से अंतर्कलह 

शायद ये चीज़ हरेक समाज में मौजूद है पर हमें इस चीज़ पर काबू पाना होगा। मैंने खुद ये देखा की जो लोग हमारे सामने हमारे हितैषी बनने का ढोंग रचते हैं, हमारे पीछे हमारी ही हवा निकालने  में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

इसके अलावा भी कई और कमी हो सकती है  पर मेरे ख्याल से ये कुछ मुख्य कमियां हैं। ऊपर लिखे हुए कमी के बावजूद आज मोकामा काफी तरक्की की राह पर अग्रसर है, मुझे इस बात पर गर्व है।



आपके टिपण्णी/सुझाव आमंत्रित है।

आकाश 


English version follows:-



As I had told you earlier that I will try to cover the topic with full honesty. So, I am back with “Mokama and its weakness”. Before writing this subject I would like to clarify one thing that I'm also guilty of this entire episode.

1. Lack of skilled leadership

We can’t deny the fact that there is a lack of skilled leadership in our Mokama. (When I started realizing). I have not seen a single leader who is aware of the problems of Mokama.  It’s not like that Mokama has not seen good leaders but they were not at all serious about problems in Mokama. Result is that some of the premier factories of India like Bharat Wagon, National Textile Mill, Nazareth etc are either closed down or are on the verge of closing. But they have never been serious about this.

2. Lack of local leaders

Sometime I amaze when I see that the leader of Mokama is a person who do not belong to our town. Out of 1 lakh population, there’s not a single from Mokama.

3. Dissension from each other

Maybe this thing exists in every society, but we will overcome this thing. I myself saw these people who pretend to be our friend but leave no stone unturned to harm us behind us.

Despite the above mentioned problems we are moving ahead and I am proud of it.

Your comments / suggestions are invited.

Akash

Sunday, March 31, 2013

मेरे जीवन की गलतियाँ भाग ३



दरसल स्पेशल २६ के कारण  मैंने अपने जीवन की गलतियाँ भाग ३ आज लिख रहा हूँ।

मैं पैसे इन्वेस्ट करते करते काफी कर्जे में डूब गया। यकीन मानिये एक ऐसा समय आया जब मैं ठीक से न सो सकता था और न जाग सकता था। पता नहीं मैंने अच्छी  तरह से आखरी रात कब गुजारी थी। मैं जीवन के एक ऐसे मोड़ पर खड़ा था जहाँ से आगे पूरा अँधेरा दिखता था। लेकिन कहते है कि हरेक समस्या का समाधान हमारे सामने होता है। साथ ही साथ ये भी कहना चाहूँगा कि इस दुनिया में हरेक मर्ज की दवा है। ज़रुरत उसे सिर्फ पहचानने की है।

तभी मेरे ज़िन्दगी में एक किताब आई। किताब का शीर्षक था " चिंता छोड़े और सुख से रहे". इस किताब के लेखक डेल कार्नेगी हैं। इस किताब को पढ़ते समय मैंने किसी भी  प्रॉब्लम का सामना करने की एक नायब युक्ति पाया। यकीन मानिये आप सिर्फ इन ४ कदम वाले तरीके से किसी भी प्रॉब्लम का सामना और उससे निकलने का तरीका ढूंढ सकते हैं।  तरीके इस प्रकार हैं :-

१.  मैं किस बारे में चिंतित हूँ, उसे लिखें।
२.  इससे निजात पाने के लिए मैं क्या क्या कर सकता हूँ, उन सारे तरीकों को लिखें।
३.  उन सारे तरीकों में से सबसे बढ़िया तरीका क्या होगा, ये थोड़ी देर गौर करने के बाद आप अपने आप अंदाजा लगा लेंगे।
४.  उस तरीके को तुरंत शुरू करें।

मैं पुरे दावे के साथ कह सकता हूँ कि आप अपने दिक्कत तो जल्द सुलझा लेंगे।

अगर आप उस किताब को ऑनलाइन या सेव करके रखना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं



बाकी आगे भाग में 


English Version Follows:-



Due to Specials 26, I am writing My Mistakes of life Part 3 now.

As I kept investing, I went into considerable debt. Do believe me, a time came when I was neither sleeping nor waking up properly. I couldn’t remember the last night when I had a good sleep. I was standing at such juncture of life where everything seemed black. But it’s a well known fact that we have got a solution to each and every problem of this world. It’s only we need to recognize that.

Then I came through a book in my life. Trust me It completely changed my Life. I would request you all to go through this book when ever u get sometime. The title of the book was "How to stop worrying and live happily."  The author of the book is Dale Carnegie.  At a page, I came across a method to find out the exact solution for any problem in this world. It’s been divided into four steps. Steps are as follows: -

1. Write for what things you are worried about?
2. Write all the ways you think can solve the problem.
3. Analyze all the methods for sometime and I am dam sure you will able to choose the best method to sort out the problem.
4. Start your method immediately.

I am sure you will get your solution easily and work done.


You can read or save the book by clicking here :


Rest in next part 




Wednesday, March 27, 2013

नमस्कार मोकामा।

मोकामा ऑनलाइन

मोकामा - एक क़स्बा जिसका नाम जेहन में आते ही कुछ धुंधली सी तस्वीर उभर कर सामने आती है। करीब १० साल पहले अगर आप मोकामा के बारे में किसी से भी कुछ पूछते, बशर्ते उसे कुछ भी मोकामा के बारे में पता हो, तो वो शायद अपराध के बारे में होता। अगर किसी व्यक्ति को मोकामा में आना जाना होता तोह वो शाम ७ बजे से पहले सारे काम निपटा लेता चाहे वो स्टेशन जाने का काम हो या बाज़ार से सामान लाने का।

हालकि मैंने मोकामा को सन १९८५ के आसपास नहीं देखा जब ये प्रगति की राह पर पूरी तरह से अग्रसर था। ऐसा लोग और विकिपीडिया, दोनों का कहना है। यहाँ का दाल मंडी पुरे बिहार में प्रसिद्ध था। फिर धीरे धीरे स्थानीय अपराधियों ने सर उठाना शुरू कर दिया। नतीजा, मोकामा की विकास की गाड़ियों के पहिये थम गए। लगभग हर दिन गोलियों की आवाज़ सुनना एक आम बात हो गयी थी। किसी का क़त्ल होना शायद मोकामा के लिए एक आम बात हो गयी थी। हालाकिं मैंने अपने बचपन के ज्यादा दिन मोकामा में नहीं बिताये। फिर भी जब मैं छुट्टियाँ बिताने घर पर आता तोह लोगों के चेहरे के ऊपर एक अजीब सा खौफ दिखता।

पर कहते हैं कि किसी भी चीज़ की एक सीमा होती है। धीरे धीरे मोकामा में शांति की बयार बहने लगी। धीरे धीरे ही सही पर मोकामा में एक बार फिर से विकास का रुका हुआ पहिया घूमना शुरू हुआ। शायद इसी का नतीजा है कि आज की तारीख में मोकामा फिर से तरक्की की राह पर अग्रसर है। HDFC बैंक और एक्सिस बैंक (ऐसा सुनने में आया है) जैसे बड़े बैंकों नें भी मोकामा में अपना डेरा जमाना शुरू कर दिया है।

कल की तारीख में मोकामा ने एक और कामयाबी का पत्थर छुआ जब मोकमावासियों नें अपने शहर के वेबसाइट www.mokamaonline.com  का विधिवत उदघाटन किया। मोकामा से जुडी लगभग जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते  हैं www.mokamaonline.com.

यकीन मानिये अच्छा लगता है जब मैं अपने किसी दोस्त को कहता हूँ कि मैं बिहार के एक ऐसे कस्बे की मिट्टी से जुडा हूँ जहां की साक्षरता दर ९६% है(सौजन्य : विकिपीडिया) . जहाँ दलहन की खेती पुरे देश में मशहूर है। सूची  लिखते लिखते काफी लम्बी हो जाएगी।

उम्मीद है की मोकामा आने वाले समय में कई मील की पत्थर को छुयेगा।

एक बार फिर से mokamaonline.com  से जुड़े हुए लोगों को हमारी ढेर सारी बधाई।

नमस्कार मोकामा।


English version  follows :





Mokama - a town, misty picture arises, when this name comes in my mind. Nearly 10 years ago, if you would ask anyone about Mokama, provided he knows anything about Mokama, then it would be probably about the crime.

Around 1985 I did not see the condition of Mokama when it was on a roll. (As People and Wikipedia say). The Dal Mandi was famous in the entire state. Then slowly it came under the influence of local criminals which resulted in loss of business and people from Mokama. Almost every day, It was common to hear the sound of gunfire. It seemed if murder in Mokama was a common practice. Though I spent very less days of my childhood in Mokama, i could see the fear of all these things in people's eyes.


Its a well known fact that there is a limit to everything. Crime stopped. People came out of this fear. Again the wheel of development started revolving in Mokama. The result is that today is Mokama is on an upswing again. HDFC Bank and Axis Bank (I have listened), Indian top private banks, have also embarked Mokama as their camp.


On 26 Mar 13, dats yesterday, Mokama touched a mile stone when it officially came out with its own website www.mokamaonline.com. For almost all information related to Mokama Click here www.mokamaonline.com.


Believe me, I feel proud when i say to my friends that I belong to a place whose literacy rate is 96%(Source: Wikipedia).Where the cultivation of pulses is famous throughout the country. List is too long if i started writing about Mokama.


Hopefully Mokama will keep moving ahead in forthcoming days and will touch many more milestones.


Once again Greetings to one and all who are a part of Mokamonline.com


Namaskar Mokama.





Saturday, March 23, 2013

मेरी लाइफ की गलतियाँ भाग - २



मैंने भी सत्यम कंपनी के कुछ शेयर ख़रीदे। कुल मिलाकर मैंने करीब २५० शेयर ख़रीदे २५ रूपये के भाव पर और करीब १ महीने के बाद उसे ५५ रूपये के भाव पर बेच दिए। एक महीने में करीब दुगना फायदा!!!!!!!!!!! कहते हैं कि अगर शेर के मुंह में अगर एक बार खून लग जाये तो फिर उसे सीधे साधे खाने में मज़ा नहीं आएगा। कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ।

फिर ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में मैंने और पैसे लगाये। वो भी दूसरों के कहने पर। एक बात मैं ज़रूर कहना चाहूँगा कि इस दुनिया में आपको सपने दिखाने वाले बहुत मिलेंगे लेकिन जब आप गिरेंगे तो उनमें से कोई भी आपके पास नहीं होगा। लोगों ने मुझे भी ख्वाब दिखाए और मैं उनके जाल में फँसता चला गया। मैं अपने डूबते पैसे को बचाने के लिए और पैसे लगाये।

मेरी एक दिक्कत और भी थी। वो ये कि मेरे पास शेयर बाज़ार के बारे में कुछ क्या, थोड़ी भी जानकारी नहीं थी और मैंने पूछना मुनासिब भी नहीं समझा। और इस तरह मैं शेयर बाज़ार के जाल में फँसता चला गया।

एक बात और। मैंने कभी अपनी फैमिली से भी इस बारे मैं कोई ज़िक्र नहीं की। कह सकते हैं कि ये भी मेरी एक बहुत बड़ी भूल थी।


शेष अगले भाग में

आकाश


English Version Follows:-



I also bought some shares of Satyam company. Overall, I bought 250 shares at a price of Rs 25 and  after 1 month  i sold it a price of Rs 55. Nearly double gain in a month!!!!!

To make more money, i kept on investing and that also when others were telling me to do so. I would say that in this world People showed me the dreams and when I went entrapped in their nets, they were invisible.I kept on investing money to savy my principal amount.

I even had a problem. She got me to do something about the stock market, some have no idea and I did not even ask reasonable. And thus I went entrapped in the web of the stock market.

One more thing. I did not speak to my family about all these things. I can say that these were my some of the biggest mistakes.


Rest in next Part


Monday, February 18, 2013

मेरी लाइफ की गलतियाँ भाग - 1

इस कहानी की शुरुआत होती है जनवरी 2009 जब सत्यम घोटाला हुआ था। सत्यम के एक शेयर का भाव करीब 6 रूपये तक गिर चूका था।मेरे ऑफिस के नीचे एक शेयर बाज़ार से जुड़ा ऑफिस था। जब मेरा ऑफिस ख़त्म हुआ तो पता चला की उस ऑफिस के मालिक ने करीब 5 लाख रूपये के शेयर ख़रीदे और जब उस शेयर के भाव 15 लाख पहुँच गए तो उसने उसे बेच दिए। एक दिन में पुरे 10 लाख का फायदा!!!!!!!!!!!!!


इस बात से कोई नहीं मुकर सकता कि ज्यादातर इंसान बहुत जल्दी ढेर सारा पैसा कमाना चाहते हैं और एक आराम की जिंदगी जीना चाहते हैं। मैं भी उन्हीं में से एक था।मेरी भी दिली तमन्ना थी कि मैं ढेर सार पैसा कमाऊ। हाँ फर्क सिर्फ इतना था कि मैं ये सब अपनी फैमिली के लिए कर रहा था।



इस शेयर बाज़ार की चमक दमक में पता नहीं कितने लोग बने और बर्बाद हुए पर मैं ये पक्का विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि अगर एक लोग बने हैं तो 100 बर्बाद हुए हैं। मैं ये नहीं कह रहा कि शेयर बाज़ार कोई बुरी चीज़ है पर इतना ज़रूर है कि जो भी आप करें उसे एक दायरे मैं करें और पूरी तैयारी के साथ करें।



शेष अगले भाग में।



Sunday, February 17, 2013

Prefer to say directly.



Last 3-4 months i was busy in watching the world in my way. Sometimes i think it would been more better if i could write my blog in hindi kyunki Jo Baat Hindi Main hai woh kisi aur main nahi.



Its of course one of the finest moments in my life when I and my father remain packed in a room...want to share many things to each other......but still...............ehhhhhhhhhhhhh. Its too much. He wants to say something...looks at me.....and me with no emotions at face.....he he..Suddenly, light comes and both gets busy with ETV BIHAR....



Why its not possible that we directly say what we want to say anything to someone rather than rounding and rounding.....and still u expect that the message was conveyed to the person. Sometimes u get wrong. People like me prefers to listen the things in a straight manner rather than u expect me to understand .




Within somedays i will write about my mistakes of life. hope after reading that one out of crore people may not repeat the same mistakes.




Thanks