Friday, August 2, 2013

मोकामा में तत्काल आरक्षण

रेलवे रिजर्वेशन के काउंटर पर आम  रिजर्वेशन लेने में कितनी तकलीफ होती है ये तो सब को पता है।  तो जरा सोचिये कि अगर आपको कहा जाये कि आपको तत्काल रिजर्वेशन लेना है तो आपकी हालत क्या होगी? ठीक ऐसी ही हालत मेरी थी जब मुझे कहा गया की हमें दिल्ली के लिए रिजर्वेशन तत्काल में लेना होगा। हालत बुरी इस लिए भी थी मुझे ये शुभ कार्य करने का मौका मेरे होम टाउन में ही मिला मतलब कि मुझे मोकामा स्टेशन से तत्काल टिकट लेना था।

बस फिर क्या था। मेरी हालत ख़राब हो गयी में. एक बार तो मुझे ये लगा कि मुझे किसी किराने की दुकान से नमक का पैकेट खरीदने जितना आसान है पर तुरंत मैं होश में आया और बोला कि अगर इतना ही आसान है तो तुम्ही चले जाओ और रिजर्वेशन करवा कर ले आओ.

भाई से चुपके से कन्नी काटी और मुझे में महान कार्य करने को कहा गया. मेरी तो रात की नींद वैसे ही गायब हो चुकी थी. वैसे भी कुछ दिन पहले ही mokamaonline.com के सौजन्य से ये खबर मिली थी कि टिकेट खिड़की पर दलालों का ही कब्ज़ा था. अक्सर मैंने देखा है की जिन लोगों को तत्काल का रिजर्वेशन लेना होता है वो टिकेट खिचड़ी पर ही अपनी रात बिताना पसंद करते है और यकीं मानिये जब वो सवेरे तत्काल रिजर्वेशन का कन्फर्म टिकेट मिलता है तो आप उनके चेहरे को देखिये। ऐसा लगता है मानो तीसरा विश्व युद्ध जीत कर आ रहे हैं

मैंने सोचा कि मुझे भी ये महान कार्य करना चाहिए।फिर मैंने सोचा की सीधे सवेरे जाकर  टिकट ले लूँगा। रात भर मेरे नींद और समय के बीच तगड़ी लड़ाई चल रही थी. नींद तो आखों से कोसो दूर थी. सवेरे सीधे ६ बजे उठकर रेलवे रिजर्वेशन  काउंटर पर हाजरी लगाई। पर वहां तोह मुझे पहले ढेर सारे लोगों ने टिकेट खिड़की पर कब्ज़ा कर रहा था. मैंने तो सोच लिया की भाई अगर आज मैं यहाँ से कन्फर्म टिकेट ले लूँगा तो ये मेरे ज़िन्दगी में एक यादगार पल बन जायेगा।

वहां पहुचने पर पता चला की यहाँ एक लिस्ट हैं जिसमें अपना नाम दर्ज करवाना है . मैंने शुभ काम में देर न करते हुए अपना नाम लिखवाया। पता चला की मुझसे पहले यहाँ करीब १४ महाशय हैं जिन्हें तत्काल रिजर्वेशन लेना था . बस फिर क्या था मेरा दिल धक् से बोला कि क्या अभी भी मुझे यकीन है कि मुझे तत्काल टिकेट मिल जायेगा। बुझे मन से मैं वापिस अपने घर पर आ गया. 

ठीक ९   बजे मैं रिजर्वेशन काउंटर पर पहुँच गया. धीरे धीरे लोगों की भीड़ बढ़ने लगी. मुझे तो लगा कि आज तो टिकट मिलने से रहा.साढ़े नौ बजते ही एक भारी भरकम तोंद लिए रेलवे सुरक्षा बल के एक जवान ने अपनी एंट्री करवाई। जमीन पर दो तीन बार अपना डंडा पटका और सभी को लाइन में हो जाने को कहा।  मैंने सोचा कि क्या हम उसी तरीके से लाइन में खड़े होंगे जैसे हमारा लिस्ट में नाम लिखा गया था? हमारे पुलिस साहब में तुरंत उस लिस्ट से हिसाब से सबको लाइन में हो जाने को कहा।  मजे की बात तो ये थी कि हम सभी लोग आराम से लाइन में लग गए।  मुझे एक बार तो लगा कि क्या मैं  मोकामा स्टेशन पर हूँ कि सिपाही जी के एक बार कहते ही सभी लाइन में लग गए।

जी हाँ, ये मेरा ही मोकामा था जहाँ ऐसा हुआ।  लोग बदल रहे हैं और मुझे ख़ुशी है कि आप और हम इस बदलाव के प्रतीक हैं।

खैर, मेरा पन्द्रहवां नंबर था और मैं ८ मिनट में रिजर्वेशन काउंटर पर अपना टिकट कटा रहा था और नौवे मिनट में टिकट मेरी जेब में था। मैं तत्काल रिजर्वेशन का ये युद्ध इतनी आसानी से जीत जाऊंगा, मुझे ऐसी आशा कतई न थी पर ये हुआ और वो भी मेरे मोकामा में।


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