Sunday, July 14, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग - 3

एक अच्छे स्कूल से पढाई करने के बाद हरेक पिता को ये इच्छा होती है कि उसका बेटा जीवन में कुछ अच्छा करे। उच्च पदों पर जाये।खूब नाम कमाए।अफ़सोस मैं ऐसा करने में नाकाम रहा।मैं बस ५८.४ प्रतिशत से अपनी बारहवी की परीक्षा पास ही की थी।

घर में काफी टेंशन का माहौल चल रहा था।एक तो पढने में इतना सारा खर्चा और हमारे घर के हालात उतने अच्छे नहीं थे।हलाकि पापाजी ने इतना ही कहा कि उन्हें पहले से ही मुझसे ज्यादा यकीं नहीं था। इसीलिए उन्हें ज्यादा दुःख नहीं हुआ था। खैर ये तो कहने की बात है वरना दुःख किसे नहीं हुआ था। फिर मुझे बनारस भेज गया अपनी बारहवी की पढाई दुबारा करने। मैं इतना बिगड़ा हुआ था कि यहाँ भी मैं पढाई के बदले क्रिकेट खेलने में व्यस्त हो गया। यहाँ भी मेरा कुछ नही हो पाया।

हाँ, इतना ज़रूर था की इतने दिनों में मैंने कुछ फॉर्म्स भर दिए थे और कुछ का बुलावा भी आ गया था। ऐसा नहीं था कि मुझे बुरा नहीं लग रहा था। पर मैं अपनी तरफ से कोई कॊशिश नहीं की थी या फिर ये कहूँ कि ईमानदार कोशिश नहीं की थी।

इसी बीच में मुझे वायु सेना के गैर तकनीकी ब्रांच के लिए बुलावा आ गया (भगवान की दया से) और मैंने आव न ताव देखा और यहाँ आ गया।मेरे ऊपर भी काफी प्रेशर था और मैं इससे कहीं दूर जाना चाहता था।

अफ़सोस कि मैं आज इसे ख़त्म नहीं कर पाया तो अगले भाग में मैं इसे खत्म करने की कोशिश करूँगा।

तब तक अपना ध्यान रखें, स्वस्थ रहें और हाँ, भाग मिल्खा भाग का 'जिंदा' वाला गाना सुनते रहे।

शुभ रात्रि 

आपका 

आकाश  

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