Monday, July 8, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग - २

शायद ही ऐसा हो कि माँ - बाप अपने बच्चों को पीटें और उनका सीना छलनी न हुआ हो। हमारे पीठ के दाग भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे थे। पापाजी काफी परेशांन लग रहे थे।उन्हें काफी ज्यादा तकलीफ हुई थी।पर क्या करें, बच्चों को सही राह दिखाना भी उन्ही का फ़र्ज़ है और वो उसे ही निभा रहे थे।

११ साल का होते होते हमने पापाजी से करीब ३ बार अच्छी पिटाई खा चुके थे। मेरे बड़े भैया का स्कोर कुछ ज्यादा था। वैसे भी वो कुछ ज्यादा ही शरारती था।

साल १९९७, महीना जून जब मेरा दाखिला देश के सर्वोतम स्कूलों में से हुआ,"सैनिक स्कूल बIलाचडी" . इसी बीच मेरे पिताजी के ऊपर कुछ केस दर्ज हो गया जिससे उनकी नौकरी चली गयी।साल १९९८ में हमारी दादी का निधन हुआ।आप ज़रा अंदाज़ा लगाये कि जब किसी व्यक्ति को २ साल तक वेतन न मिले और उसे इतने सारे दिक्कतों का सामना करना पड़े, उस इंसान के ऊपर क्या बीत रही होगी। मेरे लिए तोह अंदाज़ा लगाना ही मुश्किल है और शायद आपके लिए भी। हालाकिं मैंने अपने बचपन के काफी कम दिन घर पर गुजरे पर कभी भी उन्होंने मुझे इस बात का आभास होने न दिया।

जून १९९९ के आसपास कोर्ट का मामला ख़त्म हुआ और पापाजी को उनकी नौकरी मिल गयी।पर अभी भी हमारे घर के हालात ठीक नहीं थे। इसी बीच में पता चला कि मेरे पिताजी को ह्रदय की बीमारी हो गयी है।२००४ में मैंने बारहवी की परीक्षा पास की।दरसल पास ही की।

आगे की बात अगले और आखरी भाग में,

तब तक अपना ख्याल रखें,स्वस्थ रहें,

आपका 

आकाश        

Sunday, June 16, 2013

फादर डे - मेरे पिताजी भाग - १

पिछले कई दिनों से मैं अपने ऑफिस के काम में व्यस्त होने के कारण ब्लॉग नही लिख पाया।इसके लिए मैं आप सभी से और ब्लॉगर भैया से माफ़ी मांगता हूँ।

वैसे आज का दिन कई मायनों में ख़ास रहा।जैसे :-

आज का दिन हमने अपने पिताजी को समर्पित किया है।

बीजेपी की ख़ास पार्टी जद(यू ) ने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया।

दिल्ली में आज खूब बारिश हुई। वगैरह वगैरह 

पर आज मैं सिर्फ पहले ही पंक्ति पर ही अपने विचार व्यक्त करूँगा।बल्कि मैं अपने और अपने पिता के सम्बन्ध पर थोड़ी बहुत बातें करूँगा।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हरेक इन्सान अथवा बेटा/बेटी के जीवन में उनके पिता का काफी महत्त्व होता है और सभी के पिता दुनिया में सबसे अच्छे पिता हैं।मैं भी इनमें से कोई अलग नहीं हूँ और हाँ, मेरे पिताजी भी इस दुनिया के सबसे अच्छे पिताजी हैं।

मुझे आज भी वो समय याद है जब मैं करीब ६-७ साल का था और मैं अपने पिताजी से काफी डरा करता था। मैं क्या,मेरा शैतान बड़ा भाई भी पिताजी से खूब डरा करता था। जैसे ही पिताजी की आने की आहट सुनाई देती, हम तेजी से अपने कमरे में दुबक जाते।अगर हमें कोई चीज चाहिए होती तो हम लोग अपना पैगाम अपनी माताजी को सुनते और फिर हमारा पैगाम/फरमाइश पिताजी तक पहुचते।करीब ११ साल के होने तक मैंने पिताजी से ३ बार पिटाई खा चूका था।हालाकिं ये सारी पिटाई मैंने अपने बड़े भाई के शैतानियों के कारण खाई।

जब मुझे और मेरे बड़े भाई की पहली बार पिटाई हुई थी तो माताजी बाज़ार गई हुई थी और हमलोग छत पर पतंग उड़ाने में व्यस्त थे।  नीचे पापाजी सो रहे थे।मैं अपने पिताजी को पापाजी ही बुलाता हूँ।मेरे पापाजी को कुछ चीजों से सख्त नफरत है। जैसे कि नींद पर किसी भी तरीक़े का शोर उन्हें पसंद नहीं है। फिर क्या था, प्रेम से हमें छत से नीचे बुलाया गया और जम कर धुलाई हुई। मुझे खुद भी याद नहीं है कि हमें किस किस चीज़ों से पीटा गया था।याद बस इतना है कि पिटाई के  बाद पापाजी बाहर चले गए और मम्मी ने हमारे कपड़े उतारे तो पीठ पर देर सारे काले निशान थे। फिर हमारी गरम पानी से सेकाई की गयी। रात को पापाजी के आने से पहले हमलोग खाना खा कर सो चुके थे।सवेरे जब आखें खुली तो हमने देखा कि हमारे तकिये के पास ढेर सारे चॉकलेट्स पड़े थे। पूछने पर मम्मी ने हमें बताया कि रात में ये सारे चॉकलेट्स पापाजी लेकर आये थे पर तब तक हम लोग सो चुके थे।

तो ये थी मेरे पिताजी की कहानी मेरी जुबानी भाग - १ 

आगे जल्दी लिखने की कोशिश करूँगा।

तब तक अपना ध्यान रखिये,सुरक्षित रहिये।

शुभ रात्रि 

आकाश 

Saturday, May 11, 2013

Long Live My Parents

Its one of the most important day of my Life i.e 11 May. My parents have completed 33 years of their journey of life together. Best wishes from their Children.

Akash