Monday, April 14, 2014

ज़िन्दगी की एक सच्चाई

काफी दिन से कुछ  लिखने की काफी कोशिश कर रहा था। पर पिछले कुछ दिन या यूँ कहें कुछ महीने मेरी ज़िन्दगी के काफी ख़राब महीने रहे। मेरे साथ ऐसे कुछ घटनाएँ हुईं जो मुझे अंदर से तोड़ने के लिए काफी थे। पर पता नहीं क्यूँ अब कुछ भी बुरा नहीं लगता। शायद आदत ही हो गयी है मुझे या फिर मुझे ऐसे चीज़ों को आराम से झेलनें की शक्ति आ गयी हैं। 

हरेक सिक्के के दौड़ पहलू होते हैं। उसी तरीके से हमारी ज़िन्दगी में हरेक तरह के पल होते हैं। ख़ुशी के और गम के। शायद इस दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जिसके पास किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। अगर आप अपने आस पास देखें तो पायेंगे कि उनकी परेशानी हमारी परेशानी से काफी ज़्यादा है। पर उनको सुलझाने के तरीके बहुत महत्त्व रखते हैं। 

अक्सर हम देखते हैं कि हमारी परेशानी अगर २० % होती है तो हम फालतू का सोच सोच कर उसे १०० % पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। भले आप मेरा यकीन करें या नहीं करें। ख़ुशी और गम हमारी ज़िन्दगी के दो पहलु हैं और हमें उन्हें जीने में यकीन रखना चाहिए, ना कि उनसे पीछे हटने में। ऐसा क्यों हैं फिर कि हम अपने दुख के पल में डरना शुरू कर देते हैं? उसे सुलझाने की बजाय हम उन्हें पुरे तरीके से उलझा देते हैं। 

पिछले कुछ दिनों में मेरे पास तीन चार तरीके के दिक्कतों को देखने और समझने का मौका मिला। पता है इन सभी में बराबर क्या था ? कि लोगों से जान बूझकर उसे बड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा। सारे लोगों ने अपनी दिक्कतों के निवारण के लिए मुझे चुना।  पता नहीं लोगों को ऐसा क्यों लगता है कि मैं उनकी दिक्कतों को आराम से सुलझा सकता हूँ या फिर इसे सुलझाने के लिए कोई सही रास्ता बता सकता हूँ। पता नहीं क्यों पर ऐसा है। मजे की बात ये है कि मेरे पिताजी के हिसाब से मैं अभी भी एक 'नाबालिक' हूँ। पर मुझे अच्छा लगता है कि लोग मेरी सलाह लेते हैं और उस पर अमल भी करते हैं। 

तो क्या में इतना बड़ा हो गया कि मैं लोगों की दिक्कतें सुन सकता हूँ और उन्हें सुलझा सकता हूँ ? तो जबाब है 

हाँ 

मैं ये कर सकता हूँ। 

मेरे  अगले ब्लॉग में मैं अपनी ज़िन्दगी के कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण पहलु पर अपने विचार लिखूँगा। उम्मीद है आपको पसंद आएगी।  एक बात और। सुख और दुःख हमारी ज़िन्दगी के बहुत ही अहम पहलूँ हैं। तो इनसे न डरें। स्वस्थ रहें। अच्छे से रहें। 

आपका

 आकाश 


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