वायु सेना में आने के बाद थोड़ा अच्छा तो लगा पर ये वो जगह नहीं थी जहाँ मेरे पापाजी मुझे देखना चाहते थे।पुरे मन से न सही पर आधे अधूरे मन से किसी तरह से उन्होंने अपने आप को मनाया। समय बीता।मैं अपनी नौकरी अच्छे तरीके से कर रहा था। इस दौरान मैंने कई परीक्षाएं दी पर अफ़सोस मैं पास नहीं कर पाया। तीन बार एस एस बी इंटरव्यू से आखरी दिन बाहर हुआ।
ऐसा नहीं था कि मैं कोशिश नहीं की पर कुछ खास हुआ नहीं। पता है जब इंसान गलत होता है न तो वो खुद से भी दूर भागने की कोशिश करता है। मैं भी कुछ ऐसा ही कर रहा था। जरा सोचिये कि आप के पिताजी और आपके दोस्त के पिताजी एक दुसरे को अच्छे तरीके से जानते हैं। मेरा दोस्त एक अधिकारी बनता है और मैं एक आम कर्मचारी जबकि दोनों से एक साथ एक ही स्कूल से पढाई की। फिर मेरे पिताजी को कैसा लगता होगा जब वो मेरे दोस्त के पिताजी से मिलते होंगे। आखिर उन्होंने मेरी पढाई से लेकर मेरे हरेक सुख दुःख का ख्याल रखा तो क्या मैं उनके लिए इतना नहीं कर सकता था? आखिर उन्हें चाहिए ही क्या था? यही न की उनका बेटा कुछ अच्छा करे। उनका नाम रौशन करे। अफ़सोस मैं ऐसा नहीं कर पाया।
मेरी नौकरी को सात साल बीत चुके हैं। आजतक मेरे पिताजी ने ये नहीं कहा कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में कुछ नहीं किया या फिर मैंने उनका नाम डूबा दिया और कभी कहेंगे भी नहीं। क्या करें आखिर बाप ठहरे ना। बेटा चाहे कैसा भी को, उसकी हरेक तकलीफ उनके माता पिता के लिए बहुत दर्द लाती है। अक्सर उनकी आखें कहने की कोशिश करती है कि क्या उनका ये हक नहीं था कि मैं भी कुछ अच्छा करूँ और कम से कम एक अधिकारी बनूँ।पर मेरी दिक्कत ये है की मैं उनसे आखें नहीं मिला पाता और मुझे इस बात का अफ़सोस हमेशा रहेगा।
ऐसा नहीं है की मैंने कोशिश जारी नहीं रखी हैं पर देखिये कब सफलता मेरे कदम चूमती है। हर रात को सोते वक़्त अपने आप से एक वादा करके सोता हूँ कि एक दिन मेरे पिताजी गर्व से कहेंगे अन्नी मेरा बेटा है।उम्मीद करिए की मैं अपने पिताजी का नाम अभी से ज्यादा रौशन कर सकूँ।
आलम ये है कि कभी कभी सोते वक़्त जब ये सब सोचता हूँ तो मेरे आखें नम हो जाती हैं।आखें लोर से डब डब भर आती हैं।मैं आज भी जब क़यामत से क़यामत का 'पापा कहते हैं' गाना सुनता हूँ तो याद आता है वो समय जब हम अपने पिताजी को कहा करते थे कि हम भी आपका नाम रौशन करेंगे। अगर मेरा हाल ये है तो मेरे पिताजी का क्या हाल होता होगा? उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में काफी संघर्ष किया है।काश उनका यह नालायक बेटा भी ऐसा कर पाता। सवाल काफी है और जवाब सिर्फ मैं।
एक चीज़ मैं ज़रूर कहना चाहूँगा। कोई भी बात हो और कैसी भी हो, अपने माता -पिता से ज़रूर शेयर करें। विश्वास करें वो हमेशा आपके साथ होंगे। आखिर बात करने से ही तो बात बनती है।
अगले ब्लॉग में एक सच्ची घटना का बताना चाहूँगा।
तब तक अपना ध्यान रखे, स्वस्थ रहे और हाँफिल्म 'लूटेरा' का 'अनकही' वाला गाना सुनते रहें।
आपका
आकाश