मैं इस बार सिर्फ दो कहानी लिखूँगा। मैंने सब कुछ वही लिखा है जो मुझे उन्होंने बताया है या जो उनसे पता चला है।
पता नहीं क्यों पर जब भी मैं महिलाओं के ऊपर कोई अत्याचार देखता हूँ तो काफी बुरा लगता है। उनके ऊपर अत्याचार करके हम अपने आप को मर्द साबित करना चाहते हैं क्या ?
पहली कहानी एक औरत के बारे में है जो अपने घर में अपना शरीर बेचने को मज़बूर है और वो भी अपनी पति के कारण। हर रात उनके पति अपने कुछ दोस्तों के साथ दारु पी के आते हैं और अपनी बीवी को अपने दोस्तोँ के बीच छोड़ देता है। बस आप ज़रा कल्पना कीजिए क्या हालत होगी उस लड़की की जो तीन चार दरिंदों के बीच अपनी हर रात गुजारती को विवश होती है और वो भी अपने पति के कारण । आखिर कैसे ? कोई इतना नीचे कैसे गिर सकता है ? मतलब कैसे कोई ऐसा करने का सोच सकता है ? क्या सचमुच वो एक मर्द है?
दूसरी कहानी है एक लड़की की है जो अपने दादी के साथ रहती हैं। उनके पापा उनको देखना पसंद नहीं करते। पता है उस लड़की की गलती क्या है ? उस लड़की की गलती बस इतनी है कि वो एक लड़की है। और आपको जानकर ये आश्चर्य होगा कि उस लड़की के पिताजी एक डॉक्टर हैं। उस लड़की की माँ अब इस दुनिया में नहीं है और कही न कही इसके पीछे भी उनके पिताजी का ही हाथ है। क्या लड़की होना एक गुनाह है ? क्या वो
सचमुच एक मर्द हैं ? मतलब कैसे ? क्यों?
मेरे पास इन सारे सवालों का कोई जवाब नहीं है। भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाए। याद रखें नारी की इज़्ज़त करें और अपने बच्चों को भी सिखायें।
आपका
आकाश