हमारी २१वी सदी का भारत कैसा हो ये बहुत कुछ निर्भर करता है हमारी पीढ़ी पर। पर अगर हमारी आने वाली वाली पीढ़ी ऐसी हो तो हम आने वाले समय की कल्पना सकते हैं :-
हाल फिलहाल में ही मैं अपने शादी अटेंड करने घर गया हुआ था। अगर आप बिहार के किसी ग्रामीण या कसबे में कोई शादी में शिरकत किया नज़ारा काफी होगा कि छोटे छोटे बच्चे जिनकी उम्र बमुश्किल १०-११ साल की होगी, अपने सर पर मुझे नहीं पता कि उसे क्या कहते हैं पर इस तस्वीर को देखने के बाद शायद समझ जायें :-
हमारी गाड़ी करीब १० बजे अपने गंतव्य स्थान पर पहुँची थी। उस समय लेकर रात के करीब १ बजे तक इनको अपने सर पर उठा कर रखा और भगवान ही जाने कि इस काम के उसे कितने पैसे मिले होंगे। अच्छा लगा ये देखकर कि उनके चेहरे पर किसी तरह की शिकन नहीं थी या फिर ऐसा रहना आदत सी गयी है।
दूसरी तस्वीर कल की है जब मैं ट्रैन से सफर रहा था। ये सारे वाकया काफी आम हैं और लगभग हम्मे से हर किसी को इससे दो चार होना पड़ता है :-
जो काम हमारे रेलवे कर्मचारियों को करना चाहिए था उनको ये कर रहे है। जिस समय में इनके हाथों में किताब और कलम होने चाहिए , हाथ में झाड़ू लिए रेलगाड़ियों के डब्बे में सफाई करते हुए ये बच्चे अक्सर पाये जाते हैं। हालांकि इसमें अच्छे लगने जैसी कोई बात नहीं है पर शुक्र है कि इन्होने ने अभी तक कोई गलत तरीके से पैसे कमाने का रास्ता अख्तियार नही किया है।
क्या ये सारी बातें हमारे प्रशासन को नहीं पता है ? मुझे तो नहीं लगता। तो फिर दिक्कत कहा है ? क्या हमारे प्रशासन इतना लाचार हो चुका हैं कि सब कुछ जानते हुए भी अपनी आँखें मूंदे बैठा है।
क्या ऐसा होगा हमारा २१वी सदी का भारत जिसकी कल्पना हम एक सुपरपावर के रूप में करते हैं पर किस कीमत पर ? इस कीमत पर ??
अपने अंदर झांकिए और सोचियेगा।
आपका
आकाश